इंसान के मस्तिष्क पर कोई भी बॉर्डर नही है - आनंदश्री


इंसान के मस्तिष्क पर कोई भी बॉर्डर नही है - आनंदश्री



- अमीर और गरीब विचारो की संतानें है


- इंसान मन या तो प्रशिक्षित है या अप्रशिक्षित है।


हर इंसान एक अद्भुत प्रतिभा के साथ पैदा हुआ है। सबसे बड़ी बात उसके मस्तिष्क की कोई भी सीमा नही है। कोई भी बॉर्डर नही। कोई बेरीयर नही है। धीरे धीरे परिवार, माँ बाप, समाज मित्र, और कुछ अनुभव उस कृतिम बांध बना देते है। फिर वह पूरा जीवन उसी दायरे में जीता है और मर जाता है।


- कुछ ऐसे भी होते है

फिर उसी नस्ल के इंसानों में कुछ को उस अदृश्य रेषा का अनुभव होता है। वह उसे तोड़ते है। जिसे अंग्रेजी में think out of the box कहते है। उस बांध को तोड़कर वह सचमुच में रेखा के उस पार विहार करने लगते है। 


" याद रखिये मस्तिष्क की कोई भी सीमा या बांध नही है। यह लिमिटलेस है। 

यह आपको जो चाहे वह बना सकता है। निश्चय कीजिये आप क्या बनना चाहते हो। "


  - विचार को विश्वास से जोड़ दीजिये

भावनाएं प्रबल है। आनंद, प्रेम और आस्था। ये त्रिवेणी संगम से आप अपने अंतर्मन को प्रोग्रामिंग कर सकते है। इंसान मन या तो प्रशिक्षित है या अप्रशिक्षित है। 


-मन को प्रशिक्षण दिया जा सकता है

आत्मसुझाव, संगत, माहौल और विचार को संग्रह करते मन को प्रशिक्षित करें। 


- प्रो डॉ दिनेश गुप्ता - आनंदश्री

आध्यात्मिक व्याख्याता एवं माइंडसेट गुरु, मुंबई

8007179747

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